ख़ामोश रहता हूं, जीने की कोई आस नहीं मिलती... पहले बात कुछ और थी, अब वो सुकून की सांस नहीं मिलती... मिलती थी पहले हर छोटी छोटी बातों पर, ढेर सारी खुशियां... अब इन अदाकार चेहरों में मुस्कुराहट भी, कुछ ख़ास नहीं मिलती....
ख़ामोश रहता हूं, जीने की कोई आस नहीं मिलती... पहले बात कुछ और थी, अब वो सुकून की सांस नहीं मिलती... मिलती थी पहले हर छोटी छोटी बातों पर, ढेर सारी खुशियां... अब इन अदाकार चेहरों में मुस्कुराहट भी, कुछ ख़ास नहीं मिलती....
Dhadkate rahege tumahre dil ki gehraaio me din raat ham
jo kabhi khatam na ho wo ehsaas hai ham
धड़कते रहेंगे तुम्हारे दिल की गहराइयों में दिन रात हम…*💕💕
💕💕 *जो कभी खत्म न हो वो अहसास हैं हम…*💕💕
अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-
“आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।”
सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।
बीरबल ने उन्हें हिम्मत बँधायी,
“तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पायजामों को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय में नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।”
उधर बादशाह भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। सेठों का यह निराला स्वांग देखकर बादशाह पहले तो हँसे, फिर बोले-“यह सब क्या है ?”
सेठों के मुखिया ने कहा-
“जहाँपनाह, हम सेठ जन्म से गुड़ और तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया कहकर क्यों पुकारते?”
बादशाह अकबर बीरबल की चाल समझ गए और अपना हुक्म वापस ले लिया।