आंखें अगर कमजोर होती तो शायद दिल ना लगाते..
जब देख ही नहीं पाते, तो उनसे यूंही थोड़ी ना मिल जाते..
ना उनके चेहरे का दीदार होता, ना आँखों में डूब जाते..
ना आज गमों में होते, ना खुद को मुश्किल में पाते..
आंखें अगर कमजोर होती तो शायद दिल ना लगाते..
जब देख ही नहीं पाते, तो उनसे यूंही थोड़ी ना मिल जाते..
ना उनके चेहरे का दीदार होता, ना आँखों में डूब जाते..
ना आज गमों में होते, ना खुद को मुश्किल में पाते..
आज दीदार ना हुआ उनका एक बार भी, नाराज से लगते हैं..
सुनाई देती है जैसे ही दस्तक कोई, बार- बार दरवाजे पे भगते हैं..
हर बार कोई और होता है, ख्वाब टूट जाता है, नींद से जगते हैं..
अरे कोई तो खबर करदो उन्हें, इंतजार में हैं, वो अपने से लगते हैं..❤️