
Akhiyaan de kol sda rahi sajjna Asi lakh vaari tak ke v nahi rajjna mukh na modhi saadha jor koi na saanu chhadd ke na jai saadha hor koi naa

महर-ओ- वफ़ा की शमआ जलाते तो बात थी
इंसानियत का पास निभाते तो बात थी
जम्हूरियत की शान बढ़ाते तो बात थी
फ़िरक़ा परस्तियों को मिटाते तो बात थी
जिससे कि दूर होतीं कुदूरत की ज़ुल्मतें
ऐसा कोई चराग़ जलाते तो बात थी
जम्हूरियत का जश्न मुबारक तो है मगर
जम्हूरियत की जान बचाते तो बात थी
ज़रदार से यह हाथ मिलाना बजा मगर
नादार को गले से लगाते तो बात थी
बर्बाद होने का तो कोई ग़म नहीं मगर
अपना बनाके मुझको मिटाते तो बात थी
हिंदुस्तान की क़सम ऐ रेख़्ता हूँ ख़ुश
पर मुंसिफ़ी की बात बताते तो बात थी
Tenu sochde hi din shuru hunda e mera
Tenu sochde hi raat hun hon laggi e..!!
Mera dil nahio lagda bin tere sajjna
Doori pyar ch menu eh staun laggi e..!!
ਤੈਨੂੰ ਸੋਚਦੇ ਹੀ ਦਿਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਏ ਮੇਰਾ
ਤੈਨੂੰ ਸੋਚਦੇ ਹੀ ਰਾਤ ਹੁਣ ਹੋਣ ਲੱਗੀ ਏ..!!
ਮੇਰਾ ਦਿਲ ਨਹੀਂਓ ਲਗਦਾ ਬਿਨ ਤੇਰੇ ਸੱਜਣਾ
ਦੂਰੀ ਪਿਆਰ ‘ਚ ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਸਤਾਉਣ ਲੱਗੀ ਏ..!!