Hamari pasand hamesha laazwaab hoti hai
agar zakeen na toh zara apni aur dekh
ਹਮਾਰੀ ਪਸੰਦ ਹਮੇਸ਼ਾ ਲਾਜ਼ਵਾਬ ਹੋਤੀ ਹੇ,
ਅਗਰ ਜਕੀਨ ਨ ਤੋਂ ਜ਼ਰਾ ਆਪਣੀ ਔਰ ਦੇਖ☺️
Hamari pasand hamesha laazwaab hoti hai
agar zakeen na toh zara apni aur dekh
ਹਮਾਰੀ ਪਸੰਦ ਹਮੇਸ਼ਾ ਲਾਜ਼ਵਾਬ ਹੋਤੀ ਹੇ,
ਅਗਰ ਜਕੀਨ ਨ ਤੋਂ ਜ਼ਰਾ ਆਪਣੀ ਔਰ ਦੇਖ☺️
लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए
नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई
नहीं उम्मीद इसकी मुझे
खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा
भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
क्योंकि
लिखता मैं किसान के लिए
लिखता मै इंसान के लिए
तरुण चौधरी
Bekadar aise de ladh na laggiye
Jihde dil da kothra pleet howe..!!
“Roop” dil dayiye taa othe dayiye
Jithe pyar nibhawan di reet howe..!!
ਬੇਕਦਰ ਐਸੇ ਦੇ ਲੜ੍ਹ ਨਾ ਲੱਗੀਏ
ਜਿਹਦੇ ਦਿਲ ਦਾ ਕੋਠੜਾ ਪਲੀਤ ਹੋਵੇ..!!
“ਰੂਪ” ਦਿਲ ਦਈਏ ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਦਈਏ
ਜਿੱਥੇ ਪਿਆਰ ਨਿਭਾਵਣ ਦੀ ਰੀਤ ਹੋਵੇ..!!