ਮੈਂ ਕਿਦਾਂ ਉਤਾਰਾਂ ਗਾਂ
ਕਰਜ਼ ਯਾਰੀ ਦੇ ਐਹ ਸਾਰੇ
ਬੱਸ ਯਾਰ ਹੀ ਨੇਂ ਤੁਹਾਡੇ ਬਰੰਗੇ
ਏਹ ਪੈਸੇ ਨੀ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ
ਲੋਕਾ ਦਾ ਨਜ਼ਰੀਆ ਬਦਲਿਆ
ਬੱਸ ਇੱਕ ਮੇਰੇ ਯਾਰ ਨੀਂ ਬਦਲੇ
ਚੰਗਾ ਸੀ ਤੇ ਮਾੜਾ ਵੀ ਆਇਆ
ਏਹ ਚੰਗੈ ਮਾੜੇ ਨੂੰ ਵੇਖ ਮੇਰੇ ਯਾਰ ਨੀਂ ਬਦਲੇ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ
ਮੈਂ ਕਿਦਾਂ ਉਤਾਰਾਂ ਗਾਂ
ਕਰਜ਼ ਯਾਰੀ ਦੇ ਐਹ ਸਾਰੇ
ਬੱਸ ਯਾਰ ਹੀ ਨੇਂ ਤੁਹਾਡੇ ਬਰੰਗੇ
ਏਹ ਪੈਸੇ ਨੀ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ
ਲੋਕਾ ਦਾ ਨਜ਼ਰੀਆ ਬਦਲਿਆ
ਬੱਸ ਇੱਕ ਮੇਰੇ ਯਾਰ ਨੀਂ ਬਦਲੇ
ਚੰਗਾ ਸੀ ਤੇ ਮਾੜਾ ਵੀ ਆਇਆ
ਏਹ ਚੰਗੈ ਮਾੜੇ ਨੂੰ ਵੇਖ ਮੇਰੇ ਯਾਰ ਨੀਂ ਬਦਲੇ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ
Kuch jakham kitaabon mein rakh diye
Kuch ko alfaazon mein smet diya
Kuch fool bankar mile hmein
Aur kuch ne hum hi ko smet diya 💔
कुछ जख्म किताबो में रख दिए
कुछ को अल्फाजो में समेट दिया
कुछ फूल बनकर मिले हमे
और कुछ ने हम ही को समेट दिया💔
अकबर के महल में कई कीमती सजावट की वस्तुएं थीं, लेकिन एक गुलदस्ते से अकबर को खास लगाव था। इस गुलदस्ते को अकबर हमेशा अपनी पलंग के पास रखवाते थे। एक दिन अचानक महाराज अकबर का कमरा साफ करते हुए उनके सेवक से वह गुलदस्ता टूट गया। सेवक ने घबराकर उस गुलदस्ते को जोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। हार कर उसने टूटा गुलदस्ता कूड़ेदान में फेंक दिया और दुआ करने लगा कि राजा को इस बारे में कुछ पता न चले।
कुछ देर बाद महराज अकबर जब महल लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनका प्रिय गुलदस्ता अपनी जगह पर नहीं है। राजा ने सेवक से उस गुलदस्ते के बारे में पूछा, तो सेवक डर के मारे कांपने लगा। सेवक को जल्दी में कोई अच्छा बहाना नहीं सूझा, तो उसने कहा कि महाराज उस गुलदस्ते को मैं अपने घर ले गया हूं, ताकि अच्छे से साफ कर सकूं। यह सुनते ही अकबर बोले, “मुझे तुरंत वो गुलदस्ता लाकर दो।”
अब सेवक के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। सेवक ने महराज अकबर को सच बता दिया कि वो गुलदस्ता टूट चुका है। यह सुनकर राजा आग बबूला हो गए। क्रोध में राजा ने उस सेवक को फांसी की सजा सुना दी। राजा ने कहा, “झूठ मैं बर्दाश्त नहीं करता हूं। जब गुलदस्ता टूट ही गया था, तो झूठ बोलने की क्या जरूरत थी”।
अगले दिन इस घटना के बारे में जब सभा में जिक्र हुआ तो बीरबल ने इस बात का विरोध किया। बीरबल बोले कि झूठ हर व्यक्ति कभी-न-कभी बोलता ही है। किसी के झूठ बोलने से अगर कुछ बुरा या गलत नहीं होता, तो झूठ बोलना गलत नहीं है। बीरबल के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर अकबर उसी समय बीरबल पर भड़क गए। उन्होंने सभा में लोगों से पूछा कि कोई ऐसा है यहां जिसने झूठ बोला हो। सबने राजा को कहा कि नहीं वो झूठ नहीं बोलते। यह बात सुनते ही राजा ने बीरबल को राज्य से निकाल दिया।
राज दरबार से निकलने के बाद बीरबल ने ठान ली कि वो इस बात को साबित करके रहेंगे कि हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी-न-कभी झूठ बोलता है। बीरबल के दिमाग में एक तरकीब आई, जिसके बाद बीरबल सीधे सुनार के पास गए। उन्होंने जौहरी से सोने की गेहूं जैसी दिखने वाली बाली बनवाई और उसे लेकर महाराज अकबर की सभा में पहुंच गए।
अकबर ने जैसे ही बीरबल को सभा में देखा, तो पूछा कि अब तुम यहां क्यों आए हो। बीरबल बोले, “जहांपनाह आज ऐसा चमत्कार होगा, जो किसी ने कभी नहीं देखा होगा। बस आपको मेरी पूरी बात सुननी होगी।” राजा अकबर और सभी सभापतियों की जिज्ञासा बढ़ गई और राजा ने बीरबल को अपनी बात कहने की अनुमति दे दी।
बीरबल बोले, “आज मुझे रास्ते में एक सिद्ध पुरुष के दर्शन हुए। उन्होंने मुझे यह सोने से बनी गेहूं की बाली दी है और कहा कि इसे जिस भी खेत में लगाओगे, वहां सोने की फसल उगेगी। अब इसे लगाने के लिए मुझे आपके राज्य में थोड़ी-सी जमीन चाहिए।” राजा ने कहा, “यह तो बहुत अच्छी बात है, चलो हम तुम्हें जमीन दिला देते हैं।” अब बीरबल कहने लगे कि मैं चाहता हूं कि पूरा राज दरबार यह चमत्कार देखे। बीरबल की बात मानते हुए पूरा राज दरबार खेत की ओर चल पड़ा।