घूँट भर ख़्वाहिश नहीं है
मैं समंदर चाहता हूँ
लूट लो तुम ये हवाएँ
मैं बवंडर चाहता हूँ
- – Vishakt ki Kalam se
Enjoy Every Movement of life!
घूँट भर ख़्वाहिश नहीं है
मैं समंदर चाहता हूँ
लूट लो तुम ये हवाएँ
मैं बवंडर चाहता हूँ
दिवाने हो गये तुम भी दिवाने हो गये हम भी!
पुराने हो गये तुम भी पुराने हो गये हम भी!
एक मुद्दत हुई जब तुमने मेरा साथ छोडा था!
जमाने हो गये तुम भी जमाने हो गये हम भी!!
हर्ष