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Ek meri gali || hindi love shayari
मेरी एक गली,उसकी गली से जुड़ी है
मेरे पाव नहीं मुड़े, यही सड़क मुड़ी है
मैं मुस्कुराकर,बोल पड़ा इन दोस्तों से
देखो मेरी ज़न्नत, खिड़की पर खड़ी है
उतने ऊपर, मेरा खुदा भी नहीं दोस्त
उनकी कलाई पे जितनी,चूड़ी चड़ी है
मेरे पूरे हुज़रे पर, साया करती है वो
शहर में उनकी बिल्डिंग इतनी बड़ी है
kisi ne asha kisi ne bura bataya || hindi kavita
किसी ने अच्छा,किसी ने बुरा बताया है
मेरे बारे जिसने जो सुना,वही सुनाया है
हम दोनो के दिन पर,टंगी है एक तख्ती
उसने सावधान, हमने खतरा लगाया है
हम जब जब बढ़े हैं,तो गिराया है उसने
वो जब जब गिरा, हमने हाथ बढ़ाया है
भैरव,मेरा कोहिनूर,ये पूछ रहा है हमसे
अरे क्यूं नाम के आगे,फ़कीर लगाया है
Gira toh fir bhi || hindi shayari and kavita
गिरा तो फ़िर कभी,उठा ना मिला
बंदों का हुज़ूम था,खुदा ना मिला
ज़िस्म ना मिले,तो क्या हुआ यार
वो दिल से कभी, जुदा ना मिला
परिंदों के जैसा था, इश्क़ उसका
कोई वादा, कोई वास्ता ना मिला
ऐसे हुआ दिल पर,कब्ज़ा उसका
धड़कनों को भी, रास्ता ना मिला
उसके शाहपरस्त भी हैं,बादशाह
कोई भी पत्थर,तरास्ता ना मिला