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Shayari | Latest Shayari on Hindi, Punjabi and English

love shayari hindi

कंडो के साथ ही 

तुमने मेरा प्रेम भी थापा,

उसे गोबर की तरह ढोया सिर पर,

घर से दूर ले जाकर,

खलिहान के किसी कोने में,

प्यार से, दुलार से,

पूचकार कर, आकार दिया,

धूप में सुखाया, 

बारिश से बचाया बार बार पलटाया,

मैं और कंडे_ लायक बने,

तुम्हारे लिए जलने को_

Raaton ki yeh ibadat || hindi love shayari

है कोई हकीकत या कोई हसरत है

आखिर किसके खातिर रातों की ये इबादत है

हकीम की हैरानगी पर लोग दुआ क्यू करने लगे

पीर कहते है ये आसार ऐ मोहब्बत है

Ehsaas dil ke paas || hindi ehsaas shayari

जिंदगी में कुछ वक्त यादगार होते हैं।

शादी में कुछ लोग खास होते हैं।।

यू तो दूर होते हैं नजरों से।

पर उनके ऐहसास दिल के पास होते हैं।।

Dolat ka fitoor nahi || shayari in hindi

सादा सी एक लड़की है,हूर नहीं है

जिस्म से दूर है, दिल से दूर नहीं है

कैसे तोलें, दौलत से मोहब्बत को

हमे चढ़ा दौलत का, फितूर नहीं है

chup reh kar || hindi shayari || kavita

चुप रह कर, ये क़माल देखने लगा

उस शिकारी का,ज़ाल देखने लगा

उसने कहा, देखो आ गया समंदर

और मैं अपना, रुमाल देखने लगा

पहले उसने मेरा सर रखा,कंधे पर

फिर वो भीगे हुए,गाल देखने लगा

इसको नया इश्क़,मंज़ूर ही कहां है

दिल फिर पुराना,साल देखने लगा

याद आ गए,फिर उसके गाल मुझे

मैं होली में जब,गुलाल देखने लगा

और जब निवाला देकर,ली फोटो

मुस्कुरा के मैं, हड़ताल देखने लगा

Jo dost the kabhi || hindi badnaam shayari

जो दोस्त बने थे कभी,वो आज मेरे दुश्मन हैं,

चूड़ियां सारीं उसकी,मेरे नाम के दो कंगन हैं,

उस रहीस के लिए, हर एक मौसम है साबन,

यहां पर,ना ज़मीन,ना घर,ना कोई आंगन है,

तुम्हे है खोफ़,तो डालो कोई,नक़ाब चेहरे पर,

ना दिल तोड़ा, ना लूटा, मेरा बेदाग दामन है,

Me baat karke baat || hindi amazing shayari

मैं बात कर के बात, बढ़ा रहा हूं

फोन से कुछ तस्वीरें,हटा रहा हूं

तेरा नाम याद रख सकूं,इसलिए

तेरे नाम के पासवर्ड लगा रहा हूं

मेरे बाद,है तेरा कोई एक रफ़िक

तुझसे पूछ नहीं रहा,बता रहा हूं

मेरी बात पर, यकीन नहीं है इसे

सोए एक शख्स को,जगा रहा हूं

teri mohobat me haar ke

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के

वीराँ है मैकदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास है

तुम क्या गये के रूठ गये दिन बहार के

इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन

देखे हैं हमने हौसले परवर-दिगार के

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया

तुझ से भी दिल फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के

भूले से मुस्कुरा तो दिये थे वो आज ‘फ़ैज़’

मत पूछ वलवले दिलए-ना-कर्दाकार के