कितने जोरो से रोया होगा दिल
भरा बैठा था जो मुद्दत से
तुमने तो बस आने से इंकार किया था
इधर मरने चले थे हम फुरसत से
कितने जोरो से रोया होगा दिल
भरा बैठा था जो मुद्दत से
तुमने तो बस आने से इंकार किया था
इधर मरने चले थे हम फुरसत से
बूँद बूँद को तरसे जीवन,
बूँद से तड़पा हर किसान
बूँद नही हैं कही यहाँ पर
गद्दी चढ़े बैठे हैवान.
बूँद मिली तो हो वरदान
बूँद से तरसा हैं किसान
बूँद नही तो इस बादल में
देश का डूबा है अभिमान
बूँद से प्यासा हर किसान
बूँद सरकारों का फरमान
बूँद की राजनीति पर देखों
डूब रहा है हर इंसान.
तरुण चौधरी
सबर की ये जिंदगी जाने केबी मुक्क्मल फल दिलाएगी
खाक हुये खवाबों पर कब नई कली आएगी ,
मसरूफ़ रहे हम सदा किताबों मे
क्या पता था जिंदगी का अशली सबक तो ठोकर शिखएगी ।
जो नोका जा रही ह दरीया के साथ
वो क्या ही वापिस किनारा दिखाएगी
अगर यू ही चलती रही खोवाबों की हकीकत से जंग
तो यकीनन जल्दी ही इंतकाल की खबर आएगी ।