कितने जोरो से रोया होगा दिल
भरा बैठा था जो मुद्दत से
तुमने तो बस आने से इंकार किया था
इधर मरने चले थे हम फुरसत से
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कितने जोरो से रोया होगा दिल
भरा बैठा था जो मुद्दत से
तुमने तो बस आने से इंकार किया था
इधर मरने चले थे हम फुरसत से
kinaare par tairane vaalee laash ko dekhakar ye samajh aaya,
bojh shareer ka nahee saanson ka tha…
किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया,
बोझ शरीर का नही साँसों का था…