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Su N

Hai ishq toh fir asar bhi hoga || hindi shayari

है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
जितना है इधर उधर भी होगा

माना ये के दिल है उस का पत्थर
पत्थर में निहाँ शरर भी होगा

हँसने दे उसे लहद पे मेरी
इक दिन वही नौहा-गर भी होगा

नाला मेरा गर कोई शजर है
इक रोज़ ये बार-वर भी होगा

नादाँ न समझ जहान को घर
इस घर से कभी सफ़र भी होगा

मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
मिट्टी तेरे तन का घर भी होगा

ज़ुल्फ़ों से जो उस की छाएगी रात
चेहरे से अयाँ क़मर भी होगा

गाली से न डर जो दें वो बोसा
है नफ़ा जहाँ ज़रर भी होगा

रखता है जो पाँव रख समझ कर
इस राह में नज़्र सर भी होगा

उस बज़्म की आरज़ू है बे-कार
हम सूँ का वहाँ गुज़र भी होगा

‘शहबाज़’ में ऐब ही नहीं कुल
एक आध कोई हुनर भी होगा

Ulte sidhe sapne || hindi shayari

उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं
सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं

इक बीमार वसीयत करने वाला है
रिश्ते नाते जीभ निकाल बैठे हैं

बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है
चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं

धागे पर लटकी है इज़्ज़त लोगों की
सब अपनी दस्तार सँभाले बैठे हैं

साहब-ज़ादा पिछली रात से ग़ायब है
घर के अंदर रिश्ते वाले बैठे हैं

आज शिकारी की झोली भर जाएगी
आज परिंदे गर्दन डाले बैठे हैं

Zindagi

उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं

सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं

इक बीमार वसीयत करने वाला है

रिश्ते नाते जीभ निकाल बैठे हैं

बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है

चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं

धागे पर लटकी है इज़्ज़त लोगों की

सब अपनी दस्तार सँभाले बैठे हैं

साहब-ज़ादा पिछली रात से ग़ायब है

घर के अंदर रिश्ते वाले बैठे हैं

आज शिकारी की झोली भर जाएगी

आज परिंदे गर्दन डाले बैठे हैं

Fir bhi kareeb raho

इश्क़ है …न चाह है तुझे पाने की, 

फिर भी करीब रहो ये अच्छा लगता है,,

ख्वाब है न हकीकत है.. दरमियाँ अपने

फिर भी तुम्हें सोचना अच्छा लगता है,,

दूर हो न करीब ही हो मेरे “जाना”

फिर भी तू हमकदम हो अच्छा लगता है,,

पराया है न अपना ही है तू मेरा

फिर भी तेरा साथ अच्छा लगता है।।🌻🌻

Ek meri gali || hindi love shayari

मेरी एक गली,उसकी गली से जुड़ी है

मेरे पाव नहीं मुड़े, यही सड़क मुड़ी है

मैं मुस्कुराकर,बोल पड़ा इन दोस्तों से 

देखो मेरी ज़न्नत, खिड़की पर खड़ी है

उतने ऊपर, मेरा खुदा भी नहीं दोस्त

उनकी कलाई पे जितनी,चूड़ी चड़ी है

मेरे पूरे हुज़रे पर, साया करती है वो

शहर में उनकी बिल्डिंग इतनी बड़ी है

kisi ne asha kisi ne bura bataya || hindi kavita

किसी ने अच्छा,किसी ने बुरा बताया है

मेरे बारे जिसने जो सुना,वही सुनाया है

हम दोनो के दिन पर,टंगी है एक तख्ती

उसने सावधान, हमने खतरा लगाया है

हम जब जब बढ़े हैं,तो गिराया है उसने

वो जब जब गिरा, हमने हाथ बढ़ाया है

भैरव,मेरा कोहिनूर,ये पूछ रहा है हमसे

अरे क्यूं नाम के आगे,फ़कीर लगाया है

Ajh raat bhar raat ka || dard shayari

मुर्शिद आज चराग़-ए-ग़म जलाऊँगा मैं

आज रात भर रात का दिल दुखाऊँगा मैं

आज किताब-ए-मुहब्बत के साथ साथ

तेरी निशानियों को भी आग लगाऊँगा मैं

ऐ सितमगर एहतियात-ए-हिजाब करना

अब फ़क़त तुझपे ही क़लम उठाऊँगा मैं

Su N