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tarun kumar

सफर और मंजिल || chaal abhi dheemi hai

चाल अभी धीमी है,

पर कदम जाएंगे मंजिल तक जरूर।

हालात अभी उलझे हैं,

पर बदलेंगे मौसम,बिखरेगा हरसू नूर।

हौसलों की कमी नहीं,

क़्त भले ना हो ज्यादा।

शह मात की खेल है जिंदगी,

मंजिल को पाने की, हम रखते हैं माआदा।

पलकें मूंद जाती हैं झंझावतों से,

रास्ते छुप जाते हैं काले बदली की छाँव में।

गुजरना ही होगा अंधियारे सूने गलियारों से,

आशियाना हो चाहे गांव या शहर में।

लक्ष्य जो बुन लिया है विश्वास के तागों से,

अब रुकना नहीं, न झुकना कहीं तुम सफर में ।

डगर ने चुन लिया है तुम्हें साहस के पदचिन्हों से,

धैर्य,सहनशीलता और जीत, होंगे सहचर तुम्हारे सहर में।।

                           तरुण चौधरी     

Dosti nahi pehli aas || friend’s post

Dosti nahi pehli aas ho tum rishto me nahi vishvaas ho tum

pyaar bhare din ki shuruaat ho tum

दोस्ती नहीं पहली आस हो तुम रिस्तो में नहीं विश्वास हो तुम
प्यार भरे दिन की शुरुआत हो तुम

Dosti anmol hai || friends shayari

दोस्ती है अनमोल रत्न;

नहीं तोल सकता जिसे कोई धन,

सच्ची दोस्ती जिसके पास है;

उसके पास दौलत की भरमार है,

न ही जीत न ही कोई हार है,

दोस्त के दिल में तो बस प्यार ही प्यार है।।

भटके जब भी दोस्त संसार के मोहजाल में,

खींच लाता है सच्चा दोस्त उसे अच्छाई के प्रकाश में,

छोड़ देता है जग सारा जब मुश्किल भरी राह में,

सच्चा दोस्त साथ देता है तब जिंदगी की राह में।।

बने चाहे दुश्मन क्यों न जमाना सारा,

सच्चा दोस्त साथ देता है सदा हमारा,

दोस्त के लिए कुर्बान होता है जीवन सारा,

हर मुश्किल में बनता है वो सहारा।।

सच्ची दोस्ती को वक्त परखता हर बार है,

वक्त की हर परीक्षा से हसते हुए पास करना ही दोस्ती की पहचान है,

दुनिया की किसी शौहरत की न जिसे दरकार है,

सच्चा दोस्त रखने वाला संसार में सबसे धनवान है।।

                    तरुण चौधरी 

Ajh rootha dost || hindi friend shayari

आज रूठा हुवा इक दोस्त बहुत याद आया
अच्छा गुज़रा हुवा कुछ वक़्त बहुत याद आया.

मेरी आँखों के हर इक अश्क पे रोने वाला
आज जब आँख यह रोई तू बहुत याद आया .

जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेता था
आज जब दर्द हुवा मुझ को बहुत याद आया .

जो मेरी आँख में काजल की तारा रहता था
आज काजल जो लगाया तू बहुत याद आया .

जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उस को ही
आज जब दिल ने बुलाया तू बहुत याद आया

Sath nibhane waala || friend

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला

अब इसे लोग समझते हैं गिरफ्तार मेरा
सख्त नदीम है मुझे दाम में लाने वाला

क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से
वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला

मुन्तज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला

मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला

Woh raaho ka hamsafar || dost shayari

वो खुशियों की डगर, वो राहों में हमसफ़र,
वो साथी था जाना पहचाना,
दिल हैं उसकी यादों का दीवाना
वो साथ था जाना पहचाना

गम तो कई उसने भी देखे,
पर राहों में चले खुशियों को लेके
दिल चाहता हैं हर दम हम साथ चलें,
पर इस राह में कई काले बादल हैं घने
वो साथ था जाना पहचाना

मेरे आसुओं को था जिसने थामा,
मुझसे ज्यादा मुझको पहचाना
चारों तरफ था घनघोर अँधियारा,
बनकर आया था जीवन में उजियारा
वो साथ था जाना पहचाना

गिन-गिन कर तारे भी गिन जाऊ,
पर उसकी यादों को भुला ना पाऊ
कहता था अक्सर हर दिन हैं मस्ताना,
हर राह में खुशियों का तराना
वो साथ था जाना पहचाना

कहता हैं मुझे भूल जाना,
अपनी यादों में ना बसाना
देना चाहूँ हर ख़ुशी उसे,
इसीलिए, मिटाना चाहूँ दिल से
वो साथ था जाना पहचाना

                     तरुण चौधरी

Ham hamesha dost rahege || friends shayari

हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थे
हार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते थे

कभी हम तुमसे कभी तुम हमसे रूठ जाया करते थे
फिर हम तुम्हे और कभी तुम हमें मना लिया करते थे

एक दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह किया करते थे
ये बात बस कल की ही लगती है
हम तुम अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे

Dost woh hai jo || friend shayari hindi

दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ
परवाह नहीं उसको कौन है तुम्हारे साथ

उसकी आखों में चमक दिखती है
जब होता है तुम्हारे साथ

गुजर जाता है वक़्त मिनटों में
जब करते हैं उससे बात

दोस्त वो हैं जो सामने आ जाये गर
खुद बयाँ हो जाते हैं दिल के हालत

कुछ सोचना नहीं पड़ता
जब होती है उससे बात

दोस्त वो है जो बिन कहे समझ लेता है हर बात
बस हम छिपा नहीं सकते उससे कोई भी राज

कर देता है हैरान तब और भी
जब मरहलों में बन जाता है ढाल
अपने सारे दर्द ग़म भुला कर
साथ हँसता है सारी रात

उसे कुछ भी नहीं चाहिए तुमसे बस
कुछ पल तुम्हारे साथ का है वह मोहताज़

दोस्त वो है जिससे दोस्ती निभानी नहीं पड़ती
जिसे कोई भी बात समझानी नहीं पड़ती

रूठ भी जाए तो भी नहीं करता नज़रन्दाज़
इसलिए ये रिश्ता होता है हर रिश्ते से ख़ास

कभी वो माँ की तरह समझाता है
तो कभी पिता की तरह डांटता है

कभी- कभी बहन बन कर सताता है
तो कभी भाई की तरह रुलाता है

कभी एक आफ़ताब बन होंसला बढ़ाता है
हमें ग़म और खुशियों से परे ले जाता है

जिसके पास है ऐसा दोस्त
वही मुकम्मल है इस जहाँ में
वही है हयात का सरताज

tarun kumar