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Poetry

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Saboot-e-Begunahi || hindi shayari

Jo duniya ki tabahi chahte hai 
Hamse khair-khahi chahte hai
Jo muzrim hai hamare
Hum hi se subut-e-begunahi chahte hai😶

जो दुनियां की तबाही चाहते हैं
हमसे खैर-खाही चाहते हैं
जो मुज़रिम है हमारे
हम ही से सबूत-ए-बेगुनाही चाहते हैं😶

hindi Shayari || beautiful shayari gazal

ग़ज़ल !

तिश्नगी थी मुलाक़ात की,
उस से हाँ मैंने फिर बात की।

दुश्मनी मेरी अब मौत से,
ज़िंदगी हाथ पे हाथ की।

सादगी उसकी देखा हूँ मैं,
हाँ वो लड़की है देहात की।

तुमने वादा किया था कभी,
याद है बात वो रात की।

अब मैं कैसे कहूँ इश्क़ इसे,
बात जब आ गई ज़ात की।

मुझसे क्या दुश्मनी ऐ घटा,
क्यों मेरे घर पे बरसात की।

हमको मालिक ने जितना दिया,
सब ग़रीबों में ख़ैरात की।

तू कभी मिल तो मालूम हो,
क्या है औक़ात औक़ात की।

Mein aur meri tanhaai || hindi shayari

करवट बदलकर सोने की कोशिश की, नींद फिर भी ना आई..
रात कमरे में बस हम दोनो थे, मैं और मेरी तनहाई..
उसे पसंद नहीं मुझसे दूर जाना, और मैने कभी वो पास ना बुलाई..
आखिर में बैठकर बातें की उससे, और जान पहचान बढ़ाई..
उसने कहा साथ उसे अच्छा लगता है मेरा, पर मुझे वो रास न आई..
समझाया उसे दूर होजा मुझसे, इतनी सी बात भी उसे समझ ना आई..
आखिर में अपनाना पड़ा उसे, वो तो मुझे छोड़ ना पाई..
जब अपनाकर उसे, आंखें बंद की मैने, तब जाकर कहीं मुझे नींद आई….

Kya sitam hai || hindi poetry

वो भी हमको मिल गया है क्या सितम है,
ग़म ही ग़म है क्या ही क्या है क्या सितम है।

देख ले इक मर्तबा तेरी तरफ़ जो,
रात दिन मांगे दुआ है क्या सितम है।

ज़िंदगी मेरी कहीं बस बीत जाए
बे वफ़ा तो हो गया है क्या सितम है।

इश्क़ तेरा अब जहर सा हो गया है,
वो जहर ही अब दवा है क्या सितम है।

आज कल घर से निकलते ही नहीं हो,
यार तुमको क्या हुआ है क्या सितम है।

Urdu Ghazal or Shayari || ho jaye gar saamna

ہو جائے گر سامنا سرِ حشر بھائی سے تمھارے

 تب کس طرح ملاؤ گے نظریں

 بیٹھ کر فرصت سے کبھی یہ بھی تو سوچنا

HO JAAYE GAR SAAMNA SAR-E-HASHR BHAI SE TUMHARE

TAB KIS TARHA MILAAO GE NAZRAIN

BAITH KAR FURSAT SE KABHI YEH BHI TO SOCHNA

Jab sath ho tum || hindi poetry || love poetry

मुझे तालाश नहीं कोई मंजिल की
जब राहो में मेरे साथ हो तुम।

मुझे नहीं चाहिए दौलत सूरत
मेरी इक बस अरमान हो तुम।

बंजर पड़ी मेरी ज़िंदगी को
शोभन करे वो बरसात हो तुम।

मेरी कौफ सी काली रातो को
रोषण करे वो चांद हो तुम।

मेरा दिन बन जाता लबो पे आते
वो खुदा सुनहरा नाम हो तुम।

मेरी हर मुश्किल को चीर के आगे
वो धनुष से निकला बान हो तुम।

मेरी हर दर्द को दुर करे
मलहम सा लगा बाम हो तुम।

मुझे क्या जरूरत किसी ऑर सक्स की
जब हर लम्हों में साथ हो तुम।

मुझे तालाश नहीं कोई मंजिल की
जब रहो में मेरे साथ हो तुम।

जो तन को पल में सीतल कर दे
वो सुबह की पहली आजन हो तुम।

जो सह ले हर करवी बाते
वो मधुर मीठी मुस्कन हो तुम।

जो राहत से भितम गरमी से
वो पेरो की ठंडी छाओ हो तुम।

खोल दे आखे सही वक्त पे
वो शोर करती आलार्म हो तुम।

मुझे तालाश नहीं कोई मंजिल की
जब रहो में मेरे साथ हो तुम।।

Urdu Ghazal or Shayari

یہ جو عشق کے مرحلے ہیں ان سے تو ہم کوسوں دور ہی بیٹھے ہیں

تشکیل لفظوں کی دیکھ کر وہ تو ہمیں ہی عاشق مزاج سمجھ بیٹھے ہیں

YEH JO ISHQUE KE MARHALE HAIN IN SE TO HUM KOSON DOOR HI BAITHE HAIN

TASHKEEL LAFZON KI DEKH KAR WO TO HAMAIN HI AASHIQUE MIZAAJ SAMAJH BAITHE HAIN

Maa || hindi poetry || sad but true

मैं ये सोचता हूं मेरा हाल क्या होगा
जब मेरी मां का इंतकाल होगा
अभी तक मैने कोई फर्ज पूरा नहीं किया
अभी तक कोई उसका कोई कर्ज पूरा नहीं किया
मेरे पास अभी वक्त ही नही है
पर वो मुझसे सख्त भी नही है
वो मंजर कैसे देखूंगा
वो बदनसीबी का साल होगा
मेरी मां का जब इंतकाल होगा
ऐ खुदा बस इतनी सी दुआ है मेरी
खुश रहे जब तक मां है मेरी
मैं उस जन्नत में खो जाना चाहता हूं
अपनी मां के आंचल में सो जाना चाहता हूं
ये दौलत नही मैं प्यार लेना चाहता हूं
उससे आशीष को उधार लेना चाहता हूं
मैं पैसे का क्या करूंगा ये माल क्या होगा
जब मेरी मां का इंतकाल होगा
ऐसे खामोश रहूंगा तो वक्त बीत जायेगा
वो बूढ़ी हो जायेगी बुढ़ापा जीत जायेगा
जब तक जिंदा है पूजा करना चाहता हूं
और कोई ना दूजा करना चाहता हूं
अभी भी वक्त है ले लो आशीष को
वरना जीवन भर तुमको मलाल होगा
मैं ये सोचता हूं मेरा हाल क्या होगा
मेरी मां का जब इंतकाल होगा