Kuch Haar Gayi Taqdeer, Kuch Toot Gaye Sapne,
Kuch Gairon Ne Kiya Barbaad Kuch Bhool Gaye Apne
Kuch Haar Gayi Taqdeer, Kuch Toot Gaye Sapne,
Kuch Gairon Ne Kiya Barbaad Kuch Bhool Gaye Apne
है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
जितना है इधर उधर भी होगा
माना ये के दिल है उस का पत्थर
पत्थर में निहाँ शरर भी होगा
हँसने दे उसे लहद पे मेरी
इक दिन वही नौहा-गर भी होगा
नाला मेरा गर कोई शजर है
इक रोज़ ये बार-वर भी होगा
नादाँ न समझ जहान को घर
इस घर से कभी सफ़र भी होगा
मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
मिट्टी तेरे तन का घर भी होगा
ज़ुल्फ़ों से जो उस की छाएगी रात
चेहरे से अयाँ क़मर भी होगा
गाली से न डर जो दें वो बोसा
है नफ़ा जहाँ ज़रर भी होगा
रखता है जो पाँव रख समझ कर
इस राह में नज़्र सर भी होगा
उस बज़्म की आरज़ू है बे-कार
हम सूँ का वहाँ गुज़र भी होगा
‘शहबाज़’ में ऐब ही नहीं कुल
एक आध कोई हुनर भी होगा
Zindagi de rang fullan varge hone c
Je oh apna keh ke piche na hatdi 💔
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਰੰਗ ਫੁੱਲਾਂ ਵਰਗੇ ਹੋਣੇ ਸੀ।
ਜੇ ਓਹ ਆਪਣਾ ਕਹਿ ਕੇ ਪਿੱਛੇ ਨਾ ਹੱਟਦੀ ।। 💔