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Pankaj Bhardwaj

I am Pankaj Bhardwaj, I love to write shayri's, poems, stories & songs.... For giving me any suggestions or feedback.... contact me @ (spankaj8368@gmail.com)

Judaa rehti hai || hindi shayari ek tarfa pyar

लबों से जुदा रहती है आजकल, हंसी मेरी कहीं खो सी गई है..
नजरें ना जाने ढूंढ रहीं, लगे जैसे किसी की हो सी गई है..
दिल में हल-चल बरकरार है, धड़कन जैसी सो सी गई है..
एकतरफा ये जाने कैसा प्यार है? लगे गलती मुझसे हो सी गई है..

Kisi meethi si hawa ne jaise || hindi shayari

किसी मीठी सी हवा ने जैसे, मेरे मन को छुआ है..
क्या कोई बीमार है ये? या किसी खास की दुआ है..
दिल बेचैन आजकल ना जाने किन ख्यालों में रहता है..?
समझ नहीं आ रहा आख़िर के, मेरे दिल को क्या हुआ है..?

Hame ruswaa karke unhe || pyar shayari sad

हमें रुसवा करके उन्हें, गैर बाँहों का इंतज़ार है..
हमारी वफ़ा उन्हें वफ़ा ना लगी, गैरों पर ऐतबार है..
इसे जीत कहूँ उनकी, या ये मेरे दिल की हार है..
बेवफाई सिखाई है मेरे दिल को, मेरी ना माने, अब भी उससे प्यार है..

Kaun thi woh || hindi poetry

ना जाने क्यूं हर रात याद वो, रात मुझे अब आती है..
सोने की कोशिश में होता हूं, एकदम बरसात जो जाती है..
ठंडी हवाओं से ठक-ठक करके, खिड़कियाँ भी खुल सी जाती हैं..
बंद करने को उठता हूं, बाहर बूंदें नजर आ जाती हैं..
दरवाजा खोल कर बाहर गया ही था के, अचानक बिजली चली जाती है..
होगया अंदर बाहर अंधेरा, सनसनी सी दौड़ फिर जाती है..
सोचा मौसम का लुत्फ़ उठालू, सर्दी भी बढ सी जाती है..
हाथों को मोडे, हाथों को रगड़ू, रोवाँ भी उठ सी जाती है..
सोच तभी बरसात में मेरी, उसी रात पर चली फिर जाती है..
भीगा हुआ सा भाग रहा था, हर बूंद ये याद दिलाती है..
कपड़े भी कम पहने थे उस दिन, सर्दी एहसास दिलाती है..
सड़क अँधेरी जहाँ कोई नहीं था, सोच के सोच डर जाती है..
पहुचू कैसे अब घर म जल्दी, हड़बड़ी याद आ जाती है..
फिसला भागते हुए अचानक, चीजें बिखर हाथ से जाती हैं..
ढूंढ़ना शुरू किया मैंने उठके, जो इधर-उधर हो जाती है..
चीज़ कौनसी कहां गिरी गई, अँधेरे में नज़र नहीं आती है..
ढूंढ ही रहा था तभी सामने, खड़ी नजर वो आती है..
क्यों हो इस सुनसान सड़क पर, कहां जाना है? पुछ वो जाती है..
गलती से गलत राह को है चुन लिया, हुआ बुरा कहे, दुख जाताती है..
मैं फ़िसल गया, सामान गिर गया, उस से नज़र मेरी हट जाती है..
मैं मदद करु कहकर वो मेरी, मदद में यूं लग जाती है..
जैसी जानती है, पहचानती है, बातें इस कदर बनाती है..
मुझे दिखा भी नहीं, उससे मिल गया सब, सामान वो मुझे थमाती है..
जा पाओगे या राह दिखाउ, उसकी ये बात ही दिल ले जाती है।
पुछा मैंने यहां क्यूं हो जानकर, जब गली सुनसान हो जाती है..
रहती हूँ यहाँ, मेरा घर है यहाँ, पता भी अपना बताती है..
चलो तुम्हें आगे तक छोड़ दूँ, मेरे साथ चलने लग जाती है..
कुछ अपनी बता, कुछ पुछकर मुझसे, मेरा हाल जानना चाहती है..
मुझे राह पर लाकर वो मेरी, इशारे से रास्ता दिखती है..
यहां से चले जाना तुम सीधे, कहकर पीछे मुड़ जाती है..
उसे रोक नाम मैंने पूछा था, बेख़ौफ़ वो मुझे बताती है..
मेरी मदद क्यूं कि जब ये पूछा, मेरी तरफ घूम वो जाती है..
उसे देखने में भीगी पलकें, कई बार झपक मेरी जाती हैं..
तभी सड़क से गुजरी कार की रोशनी, मुझे चेहरा उसका दिखती है..
ना देखा पहले कभी कोई ऐसा, इतनी सुंदर मुझे भी भाती है..
अप्सरा उतरी जैसी स्वर्ग से कोई, वो छवि ना दिल से जाती है..
धड़कन जैसे उसे देख रुक गई, रूह उसे पाना चाहती है..
मेरी जुबां पे जैसा लग गया ताला, कुछ भी बोल नहीं पति है..
उसके तन पर गिरी हर एक बूंद, मोती की याद दिलाती है..
उसकी भीगी जुल्फें तो और भी, मनमोहक उसे बनाती हैं..
उसने कहा ये के ना चाह कर भी, उसे मदद करनी पड़ जाती है..
उसके दिल ने आवाज दी थी, तभी मदद को मेरी आती है..
कुछ और कहु हमसे पहले, मेरी बात काट वो जाती है..
मुझसे अब और तुम कुछ ना पूछना, मेरी राह कहीं और जाती है..
मुमकिन है नहीं ये सोच तुम्हारी, उसे कैसे पता चल जाती है..
मुझे छू कर मेरी आँखों से, ओझल वो कहीं हो जाती है..
मैं नाम पुकारता रह गया बस, ना सामने फिर वो आती है..
ना जाने सोच में कौन थी वो, घर तक की राह कट जाती है..
उस रात के बाद, हर रात मुझे, हर रात याद वो आती है..
किसी को बता नहीं पाया अबतक, मेरी जुबां जरा कतराती है..

Roshni bhari raahe meri || hindi shayari

रोशनी भरी थी राहें मेरी, जाने कब अंधेरी हो गई..
मंजिल की तलाश में राहों से यारी, और भी गहरी हो गई..
जिन मंजिलों से लेना-देना ना था, वो बदली और मेरी हो गई..
गैर मंजिलों को इतना वक्त दिया के, खुद मंजिल मेरी खो गई..
खैर कोशिशों में कोई कमी ना थी, जो नाकाम मेरी हो गई..
मेरी मंजिल की तलाश अब भी जारी है, भले क्यूं ना देरी हो गई..

भले क्यूं ना देरी हो गई..

मेरी वाली alag hai jamane se || hindi shayari

उसके चेहरे में कई राज छुपे हैं, घबराती है बताने से..
कभी बेखौफ करे इजहार कभी, डरे जज्बात जताने से..
कभी आँखों से हटने नहीं देती, कभी फ़र्क नी पड़ता जाने से..
कभी मारने पर हंस पडती है, कभी रोये हाथ लगाने से..
कभी-कभी वो बाज नहीं आती, बेमतलब प्यार लुटाने से..
कभी लगे ना जाने कैसा प्यार है, भर देती दिल वो ताने से..
कभी-कभी वो घबरा जाती है, मुझे अपने पास बुलाने से..
कभी-कभी नहीं थकती वो अपनी, पलकों पे मुझे झूलाने से..
कभी दूर मुझसे है हो जाती, अचानक किसी के आने से..
कभी लड़ पड़ती मेरा हाथ पकड़ कर, मेरे लिए वो भरे जमाने से..
कभी परेशान हो जाता उसके, बेमतलब के शर्माने से..
कभी मुश्किल में फंस जाता हूं, परदा भी उसे कराने से..
अब तो मुझे भी डर है उसके, अचानक ही मुस्कुराने से..
क्या सबकी जिंदगी में है कोई ऐसा, या मेरी ही अलग है जमाने से..

tere naal ravaan || punjabi shayari

ravaan je m tere naal ravaan, tu vi tur’di changi laggu mere naal..

akh ton hanju cheen lavaan, sada banke ravaan m teri dhaal..

tera ekko ek din khushiyan naal bhardan, naal ravaan m jinne saal..

teri gallan da jawan rakhan tayar soneya, jinne marji tu puch li sawaal..

methon gall gall te tu aake shaq na kari, niyo khed’da m tere naal chaal..

teri fikar karaanga tethon jaan warke, har gall da m rakhunga khayaal..

ravaan je m tere naal ravaan, tu vi tur’di changi laggu mere naal….

ere hath fadke je rooh || Next Life

mera hath fadke je rooh teri, meri rooh de naal chaldi ae..
rishta nyi ae haniye jisman da, ishqe di agg sine’ch baldi ae..
hoya ki je ek ni kite, iss janam ch assi mukaddaran ne..
agla janam assi apne layi rakhya, appa nu kedi jaldi ae..

Pankaj Bhardwaj

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