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zindagi shayari

कुछ सवाल || man ki baat || hindi shayari

इस जीवन से जुड़ा एक सवाल है हमारा~
क्या हमें फिर से कभी मिलेगा ये दोबारा?
समंदर में तैरती कश्ती को मिल जाता है किनारा~
क्या हम भी पा सकेंगे अपनी लक्ष्य का किनारा?
जिस तरह पत्तों का शाखा है जीवन भर का सहारा~
क्या उसी तरह मेरा भी होगा इस जहां में कोई प्यारा?
हम एक छोटी सी उदासी से पा लेते हैं डर का अंधियारा~
गरीब कैसे सैकड़ों गालियां खा कर भी कर लेतें है गुजारा ?
जिस तरह आसमान मे रह जाते सूरज और चांद-तारा ~
क्या उस तरह रह पाएगा हमारी दोस्ती का सहारा ?
जैसे हमेशा चलती रहती है नदियों का धारा~
क्या हम भी चल सकेंगे अपनी राह की धारा ?

Andhere mein sitare || Hindi shayari

Log kehte hai andhere mein akelepan ko dekha hai
Unse kaho ke humne usi andhere mein,
Sitaron ko chamakte huye dekha hai..🍂

लोग कहते है अंधेरे मे अकेलपन को देखा है,
उनसे कहो की हमने उसी अंधेरे मे ,
सितारो को चमकते हुए देखा है..🍂

ख़ुद को जवां तस्वीर || Hindi shayari || life shayari

खुद की जवां तस्वीर बूढ़ी पलकों ने देखी है,
बीती वो जिंदगी अब सूनी सड़कों में देखी है,
हालात वही है बस थोड़ा वक्त का तकाज़ा है,
गुज़रा था जो पल आज फिर थोड़ा ताज़ा है,🍂

Sukun kaha hai ab || hindi shayari || zindagi shayari

Sukun kaha hai ab aisi aab-o-hawa mein
Chal rahi hai zindagi apni apni wafa mein
Tu wafadar bhi hai aur adakaar bhi e zindagi
Jaan chuka hu tere kirdaar, mein pehli hi dafa mein…💯🍂

सुकूं कहां है अब ऐसी आब-ओ-हवा में,
चल रही है जिंदगी अपनी, अपनी वफा में,
तू वफादार भी है और अदाकार भी ए-जिंदगी,
जान चुका हूं तेरे किरदार, मैं पहली ही दफा में…💯🍂

Matlabi duniya || sad but true line hindi shayari

Na koi manjil bachi hai ,
na koi Sahara bacha hai
Is matlabi duniya mai ,
ab kon hamara bacha hai..??🙃💔

न कोई मन्ज़िल बची है
न कोई सहारा बचा है
इस मतलबी दुनिया में
अब कौन हमारा बचा है..??🙃💔

Zindagi || two line shayari

जिंदगी खुशी देती है और हम को उसी खुशीओ में कब आखों से आसू निकल जाता है उसका पता तक नहीं चलता 💯

Bade ajeeb hain hum log || life Hindi shayari

Shehar basakar ab
Sukun liye gaav dhundte hain
Bade ajeeb hai hum log
Hath mein kulhadi liye chaav dhundte hain💯

शहर बसाकर अब
सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं
बड़े अजीब हैं हम लोग
हाथ में कुल्हाड़ी लिए छाँव ढूँढते हैं💯

Ik ishthaar chhaapa hai akhbaar me || life shayari

इक इश्तहार छपा है अखबार में,
खुली सांसे भी बिकने लगी बाज़ार में,
रूह भी निचोड़ ली उसकी,
काट दी ज़बान बेगुनाह की,
मसला कुछ ज़रूरी नहीं,
बस थोड़ी बहस चलती है सरकार में...